शारदीय नवरात्रि 2023 की तारीख व घट स्थापना शुभ मुहूर्त (Shardiya navratri 2023 date and ghat sthapana shubh muhurat )

वर्ष 2023 में शारदीय नवरात्रि  15 अक्टूबर (October) 2023 से 23 अक्टूबर (October) 2023 तक है |

Posted on 25-June-2023

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शारदीय नवरात्रि 2023 की तारीख व घट स्थापना शुभ मुहूर्त

वर्ष 2023 में शारदीय नवरात्रि  15 अक्टूबर (October) 2023 से 23 अक्टूबर (October) 2023 तक है |

शारदीय नवरात्रि घट स्थापना शुभ मुहूर्त (shardiya navratri ghat sthapna shubh muhurat) :   घट स्थापना के लिए सबसे शुभ मुहूर्त प्रात:काल को माना गया सुबह 11:44 से लेकर 12:30 दोपहर तक बहुत ही शुभ मुहूर्त, इस समय में कलश/घट की स्थापना कर सकते है |

नवरात्रि सम्पूर्ण जानकारी:-  हिन्दु धर्म में एक वर्ष में चार बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है | इन में से दो नवरात्रि चैत्र और शारदीय नवरात्रि को ज्यादा मान्यता दी जाती है | इस के अलावा दो नवरात्रि गुप्त नवरात्रि होते है | वर्ष 2023 में शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर (October)  2023 से 23 अक्टूबर (October) 2023 तक मनाये जायेगे | हिन्दु पंचांग के अनुसार, अश्विन मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रि आरंभ हो कर नवमी तिथि तक मनाई जाती हैं। इन नौ दिन में देवी माता के नौ रूपों की पूजा की जाती है | नवरात्रि के नौ दिनों में माता के नौ रूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री देवी की पूजा की जाती है। 

जाने किस दिन किस देवी की पूजा होगी : -

15 अक्टूबर 2023 को माँ शैलपुत्री पूजा घटस्थापना

16 अक्टूबर 2023 को माँ ब्रह्मचारिणी पूजा

17 अक्टूबर 2023 को माँ चंद्रघंटा पूजा

18 अक्टूबर 2023 को माँ कुष्मांडा पूजा

19 अक्टूबर 2023 को माँ स्कंदमाता पूजा

20 अक्टूबर 2023 को माँ कात्यायनी पूजा

21 अक्टूबर 2023 को माँ कालरात्रि पूजा

22 अक्टूबर 2023 को माँ महागौरी दुर्गा महा अष्टमी पूजा

23 अक्टूबर 2023 को माँ सिद्धिदात्री दुर्गा महा नवमी पूजा

24 अक्टूबर 2023 को नवरात्रि दुर्गा विसर्जन

 

कलश/घट कि स्थापना कैसे करे : नवरात्रि के पहले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ सुथरे वस्त्र पहन कर मंदिर की साफ-सफाई करके गंगाजल छिड़कें। इसके बाद लाल कपड़ा बिछाकर उस पर थोड़े चावल रखें। मिट्टी के एक पात्र में जौ बो दें। साथ ही इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें। कलश में चारों ओर अशोक या आम के पत्ते लगाएं और स्वास्तिक बनाएं। फिर इसमें साबुत सुपारी, सिक्का और अक्षत डालें। फिर एक नारियल पर चुनरी लपेटकर कलावा से बांधें और इस नारियल को कलश के ऊपर पर रखते हुए मां जगदंबे का आहवाहन करें। फिर दीप जलाकर कलश की पूजा करें। 

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