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शारदीय नवरात्रि 2022 की तारीख व घट स्थापना शुभ मुहूर्त
वर्ष 2022 में शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर(Sepetember) 2022 से 5 अक्टूबर (October) 2022 तक है |
शारदीय नवरात्रि घट स्थापना शुभ मुहूर्त (shardiya navratri ghat sthapna shubh muhurat) : घट स्थापना के लिए सबसे शुभ मुहूर्त प्रात:काल को माना गया सुबह 6:21 से लेकर 7:57 तक बहुत ही शुभ मुहूर्त, इस समय में कलश/घट की स्थापना कर सकते है | इसके अलावा सुबह 11:55 से 12:42 दोपहर तक शुभ मुहूर्त है, इस में कलश/घट की स्थापना कर सकते है |
इसके अलावा हम माता जी के कलश/घट की स्थापना शुभ चौघड़िया मुहूर्त में भी कर सकते है |
शुभ चौघड़िया मुहूर्त : सुबह 9:21 से 10: 49 तक घट की स्थापना कर सकते है | इन तीनों शुभ मुहूर्त में माता के घट की स्थापना कर सकते है |
नवरात्रि सम्पूर्ण जानकारी:- हिन्दु धर्म में एक वर्ष में चार बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है | इन में से दो नवरात्रि चैत्र और शारदीय नवरात्रि को ज्यादा मान्यता दी जाती है | इस के अलावा दो नवरात्रि गुप्त नवरात्रि होते है | वर्ष 2022 में शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर(Sepetember) 2022 से 5 अक्टूबर (October) 2022 तक मनाये जायेगे | हिन्दु पंचांग के अनुसार, अश्विन मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रि आरंभ हो कर नवमी तिथि तक मनाई जाती हैं। इन नौ दिन में देवी माता के नौ रूपों की पूजा की जाती है | नवरात्रि के नौ दिनों में माता के नौ रूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री देवी की पूजा की जाती है।
जाने किस दिन किस देवी की पूजा होगी : -
26 सितंबर 2022 को माँ शैलपुत्री पूजा घटस्थापना
27 सितंबर 2022 को माँ ब्रह्मचारिणी पूजा
28 सितंबर 2022 को माँ चंद्रघंटा पूजा
29 सितंबर 2022 को माँ कुष्मांडा पूजा
30 सितंबर 2022 को माँ स्कंदमाता पूजा
01 अक्टूबर 2022 को माँ कात्यायनी पूजा
02 अक्टूबर 2022 को माँ कालरात्रि पूजा
03 अक्टूबर 2022 को माँ महागौरी दुर्गा महा अष्टमी पूजा
04 अक्टूबर 2022 को माँ सिद्धिदात्री दुर्गा महा नवमी पूजा
05 अक्टूबर 2022 को नवरात्रि दुर्गा विसर्जन
कलश/घट कि स्थापना कैसे करे : नवरात्रि के पहले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ सुथरे वस्त्र पहन कर मंदिर की साफ-सफाई करके गंगाजल छिड़कें। इसके बाद लाल कपड़ा बिछाकर उस पर थोड़े चावल रखें। मिट्टी के एक पात्र में जौ बो दें। साथ ही इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें। कलश में चारों ओर अशोक या आम के पत्ते लगाएं और स्वास्तिक बनाएं। फिर इसमें साबुत सुपारी, सिक्का और अक्षत डालें। फिर एक नारियल पर चुनरी लपेटकर कलावा से बांधें और इस नारियल को कलश के ऊपर पर रखते हुए मां जगदंबे का आहवाहन करें। फिर दीप जलाकर कलश की पूजा करें।
अधिक जानकारी के लिए निचे दिया गया विडियो देखे :
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