चैत्र नवरात्रि 2025 की तारीख व घट स्थापना शुभ मुहूर्त (Chaitra navratri 2025 kab hai/ ghat sthapana shubh muhurat )

वर्ष 2025 में चैत्र नवरात्रि  30 मार्च (March) 2025 से 06 अप्रैल (April) 2025 तक है | चैत्र नवरात्र पर घटस्थापना के लिए दो शुभ मुहूर्त है | पहला शुभ मुहूर्त 30 मार्च को सुबह 06.14 बजे से सुबह 10:20 बजे है, दुसरा शुभ मुहूर्त 12:01 बजे से दोपहर 12.50 तक है |

Posted on 29-March-2025

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चैत्र नवरात्रि 2025 की तारीख व घट स्थापना शुभ मुहूर्त

वर्ष 2025 में चैत्र नवरात्रि  30 मार्च (March) 2025 से 06 अप्रैल (April) 2025 तक है |

चैत्र नवरात्रि घट स्थापना शुभ मुहूर्त (Chaitra navratri ghat sthapna shubh muhurat) :   घट स्थापना के लिए सबसे शुभ मुहूर्त प्रात:काल को माना गया  पहला शुभ मुहूर्त 30 मार्च को सुबह 06.14 बजे से सुबह 10:20 बजे है, दुसरा शुभ मुहूर्त 12:01 बजे से दोपहर 12.50 तक है |  इस समय में कलश/घट की स्थापना कर सकते है | 

नवरात्रि सम्पूर्ण जानकारी:-  हिन्दु धर्म में एक वर्ष में चार बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है | इन में से दो नवरात्रि चैत्र और शारदीय नवरात्रि  को ज्यादा मान्यता दी जाती है | इस के अलावा दो नवरात्रि गुप्त नवरात्रि होते है | वर्ष 2025 में चैत्र नवरात्रि 30 मार्च (March) 2025 से 06 अप्रैल (April) 2025 तक मनाये जायेगे | हिन्दु पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि आरंभ हो कर नवमी तिथि तक मनाई जाती हैं। इन नौ दिन में देवी माता के नौ रूपों की पूजा की जाती है | नवरात्रि के नौ दिनों में माता के नौ रूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री देवी की पूजा की जाती है। 

जाने किस दिन किस देवी की पूजा होगी (Chaitra navratri date list): -

30 मार्च 2025 को माँ शैलपुत्री पूजा घटस्थापना

31 मार्च 2025 को माँ ब्रह्मचारिणी पूजा

01 अप्रैल 2025 को माँ चंद्रघंटा पूजा

02 अप्रैल 2025 को माँ कुष्मांडा पूजा

03 अप्रैल 2025 को माँ स्कंदमाता पूजा

04 अप्रैल 2025 को माँ कात्यायनी पूजा

05 अप्रैल 2025 को माँ कालरात्रि पूजा और माँ महागौरी दुर्गा महा अष्टमी पूजा

06 अप्रैल 2025 को माँ सिद्धिदात्री दुर्गा महा नवमी पूजा

07 अप्रैल 2025 कलश विसर्जन 

 

 

कलश/घट कि स्थापना कैसे करे : नवरात्रि के पहले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ सुथरे वस्त्र पहन कर मंदिर की साफ-सफाई करके गंगाजल छिड़कें। इसके बाद लाल कपड़ा बिछाकर उस पर थोड़े चावल रखें। मिट्टी के एक पात्र में जौ बो दें। साथ ही इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें। कलश में चारों ओर अशोक या आम के पत्ते लगाएं और स्वास्तिक बनाएं। फिर इसमें साबुत सुपारी, सिक्का और अक्षत डालें। फिर एक नारियल पर चुनरी लपेटकर कलावा से बांधें और इस नारियल को कलश के ऊपर पर रखते हुए मां जगदंबे का आहवाहन करें। फिर दीप जलाकर कलश की पूजा करें। 

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